देव दिवाली परिचय [Dev Deepawali parichay ]
देवदीपावली dev Deepawali 2023 कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है यह हिंदू धर्म में एक विशेष और आध्यात्मिक त्योहार है जो कार्तिक मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है इसे देवताओं का दिवाली भी कहा जाता है देव दीपावली वाराणसी के घाट पर बहत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है
देव दीपावली 2023 तारीख [Dev Deepawali 2023 date]
इस वर्ष देव दीपावली 27 नवंबर को मनाया जाएगा। देव दीपावली 2023 तिथि 26 नवंबर 2023 को है लेकिन कैलेंडर के अनुसार यह तिथि 27 नवंबर 2023 को हैपूजा मुहूरत 26 नवंबर 2023 दिन रविवार को शाम 5 बजकर 8 मिनट से 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
देव दीपावली का महत्व [Dev Deepawali ka mahatva]
ऐसा माना जाता है की देव दीपावली का उत्सव ईश्वर की पूजा और आभार व्यक्त करने के लिए किया जाता हैयह भी मान्यता है की देव दीपावली के दिन ईश्वर पवित्र नदियों के घाटों पर आते है और स्नान करते है, यह भी मान्यता है की जो व्यक्ति इस शुभ अवसर पर पवित्र गंगा स्नान करके अपने सारे पापो को धो लेता है और मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है।
आध्यात्मिक स्नान [Adhyatmik asnan]
देव दीपावली का धार्मिक पवित्र स्नान हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण क्रिया है भक्तजन पवित्र नदियों घाटों में एकत्रित होते है ताकि वे पवित्र स्नान कर सके, देव दीपावली के दिन स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है ऐसा हिंदू धर्म में मान्यता है।
घाटों का प्रकाश [Ghato ka prakash]
देव दीपावली के दिन घाटों पर बहत ही धूम धाम से लाइट सजावट किया जाता है इस दिन सबसे मोहक कार्य घाटों और नदी किनारे का प्रकाशन होता है, जब हम देव दीवालिंकी बात करे और वाराणसी के घाट का जिक्र न हो ये मुमकिन नहीं है, देव दिवाली के दिन वाराणसी के घाटों को बहत ही अत्याधुनिक लेजर लाइट के साथ सजावट किया जाता है यह पल बहत ही मनमोहक होता है।
Dev deepawali 2023 की पूजा विधि
देव दीपावली के दिन सुबह जल्दी से उठकर स्नान करके यदि संभव हो तो नदी में स्नान करे नही तो पानी में गंगा जल डालकर स्नान करके वस्त्र धारण करके सूर्य देव अर्घ दे। इस दिन भगवान शिव, गणेश जी और विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए पूजन सामग्री में चंदन, अछत, हल्दी, कुमकुम, सुपारी, फूल, फल, प्रसाद, इत्यादि रखनी चाहिए।
वाराणसी देव दीपावली एक नजर में। [ Varanasi ghat ek najar me ]
जैसा कि हम लोग जानते ही है की वाराणसी धर्म नगरी के नाम से जाना है यह हिंदू धर्म के लिए काफी प्रसिद्ध है यहाँ पर देव दीपावली बहत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता , बाबा विश्वनाथ नगरी काशी में इस साल देव दीपावली के अवसर पर 21लाख दीपो की रोशनी 108 घाटों और 75 कुंडो तालाबों पर डिप जलाकर देव दीपावली मनाई जाएगी
वाराणसी के घाट दीपो से जगमगाएंगे ।
इस साल देव दीपावली पर 20 लाख मिट्टी के दिए और 1 लाख गाय के गोबर के दिए रोशन किए जायेंगे, इस मौके पर पांच प्रमुख विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। नारी शस्तीकरण, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण, नशा उन्मूलन, गंगा की अविरलता , गुरुनानक जी की प्रकाश पर्व।इन पाच बिंदुओं पर केंद्रित देव दीपावली मनाया जाएगा।
देव दीपावली की कहानी [Dev Deepawali ki kahani]
पुराणों के अनुसार कार्तिकेय जी भगवान शिव जी के बड़े पुत्र तरकशुर का वध किए थे इससे क्रोधित होकर तरकशूर की तीन पुत्र तारकाक्ष, कमलाक्ष, और विद्युन्माली ने कार्तिकेय जी से बदला लेने के लिए विष्णु जी का तपस्या करना सुरु कर दिया और उनसे अमरत्व की वरदान मांगी पर उन्होंने वरदान देने से मना कर दिए
परंतु उन्होंने कहा की जब वे निर्मित पूरो में अविभाजित नक्षत्र में एक साथ साथ होंगे और असंभव रथ पर सवार होकर असंभव रथ मारना चाहेंगे तभी इनकी मृत्यु हो पाएगी, इस प्रकार इन तीनो का आतंक कभी बढ़ गया था तब भगवान शिव ने खुद ही पृथ्वी का रथ बनाया , चांद और सूर्य को पहिया बनाए एक सारथी भगवान विष्णु से बाण लिए , बासुकी की डोर और मेरी पर्वत को धनुष बनाया, भगवान शिव ने उस असंभव रथ पर चढ़कर त्रिपुरासुर का वध किया।