भारतीय संस्कृति की जड़ों में गहरे समाया हुआ है भगवान राम का चरित्र, उनकी आस्था और भक्ति का एक सुंदर प्रतीक है भगवान राम का मंदिर। यह मंदिर न केवल एक पवित्र स्थल है बल्कि यह एक ऐसा केंद्र भी है जहाँ लोग अपने जीवन की चिंताओं से मुक्त होकर एक शांतिपूर्ण अनुभव की तलाश में आते हैं।
भगवान राम के मंदिर भारत के कोने-कोने में विद्यमान हैं। इन मंदिरों की वास्तुकला और शिल्पकला अपने आप में अनूठी होती है। प्रत्येक मंदिर की दीवारें और गलियारे रामायण की अद्भुत कथाओं को चित्रित करते हैं। यहाँ की प्रतिमाएँ और मूर्तियाँ भक्तों को भगवान राम के जीवन के नैतिक पाठों की याद दिलाती हैं।
अयोध्या में भगवान राम का जन्मस्थान एक ऐसा पवित्र स्थल है, जहाँ जाकर हर भक्त अपने आप को धन्य महसूस करता है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक अमूल्य हिस्सा भी है।
मंदिर की घंटियों की ध्वनि, पुजारियों के मंत्रोच्चारण, और भक्तों की गूँजती आरतियाँ एक ऐसा वातावरण निर्मित करती हैं जो हर आने वाले को एक आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है। यहाँ आकर भक्त अपने जीवन की उलझनों से दूर होकर एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का अनुभव करते हैं।
भगवान राम का मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल ही नहीं बल्कि यह एक सामाजिक संगठन का कार्य भी करता है। यहाँ विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आयोजन होते हैं जो समाज को एकजुट करते हैं और लोगों में भाईचारे की भावना को बढ़ाते हैं।
भगवान राम का मंदिर हमें यह सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी चुनौतियाँ आएं, अगर हमारी आस्था दृढ़ है तो हम किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं। यह हमें धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि सच्चाई और अच्छाई की राह में चलकर ही हम एक सुखद और सार्थक जीवन जी सकते हैं।
भगवान राम के मंदिर में आयोजित होने वाले उत्सव और त्योहार भी अपने आप में एक अनोखा अनुभव होते हैं। रामनवमी, विजयदशमी, और दीपावली जैसे त्योहारों पर मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। इन दिनों मंदिर की सजावट, भक्तों की भीड़, और चारों ओर फैली भक्ति की सुगंध से पूरा वातावरण दिव्य बन जाता है।
इसके अलावा, भगवान राम के मंदिरों में आयोजित की जाने वाली रामलीला भी एक खास आकर्षण होती है। रामलीला के माध्यम से भगवान राम की लीलाओं को मंच पर जीवंत किया जाता है और लोगों को उनके जीवन की महान शिक्षाओं से परिचित कराया जाता है।
यदि आप भारतीय संस्कृति और धर्म की गहराई को समझना चाहते हैं, तो भगवान राम के मंदिर की यात्रा अवश्य करें। यहाँ आकर आपको न केवल भगवान राम के दिव्य चरित्र का अनुभव होगा, बल्कि आप भारतीय इतिहास और परंपरा की एक झलक भी प्राप्त कर सकेंगे, हम सभी मिलकर भगवान राम के इन पवित्र मंदिरों की श्रद्धा और भक्ति में डूबकर अपने जीवन को और भी सार्थक बनाएँ।
इस ब्लॉक पोस्ट के तहत प्रभु श्री राम मंदिर के विशेषताओं के साथ-साथ इसके शिल्पकार, निर्माण और डिजाइन संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं पर व्याख्या करना है।
मुख्य वास्तुकार Mukhya vastukar
सन 1988 में श्री राम मंदिर का मूल डिजाइन अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार द्वारा तैयार किया गया था सोमपुरा परिवार ने दुनिया भर में 100 से अधिक मंदिरों के डिजाइन बनाए हैं सोमपुरा परिवार 15 पीढ़ियों से वास्तुकार का काम करते आ रहे हैं प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का डिजाइन भी सोमपुरा परिवार के द्वारा किया गया था।
श्री राम मंदिर का मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा और उनके दो सहायक बेटे निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा है। संपूर्ण परिवार द्वारा बनाए गए मूल ढांचे में कुछ परिवर्तन करके सन् 2020 में सोमपुरा परिवार के द्वारा एक नया डिजाइन बनाया गया, शिल्प शास्त्र वास्तु, शास्त्र और हिंदू ग्रंथो के अनुसार यह मंदिर 250 फीट चौड़ा 380 फीट लंबा और 161 फीट ऊंचा होगा।
श्री राम मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने के बाद विश्व में तीसरा सबसे बड़ा या हिंदू मंदिर होगा। इसका डिजाइन नागर शैली की वास्तुकला की गुर्जर चालुक्य शैली में किया गया है जो की एक प्रकार का हिंद मंदिर वास्तुकला है जो मुख्य रूप से उत्तर भारत के क्षेत्र में पाई जाती है।
डिज़ाइन सलाहकार | IIT चेन्नई, IIT बॉम्बे, IIT गुवाहाटी, CBRI रुड़की, SVNIT सूरत, NGRI हैदराबाद |
मुख्य वास्तुकार | चंद्रकांत बी. सोमपुरा (CBS) |
निर्माण कंपनी | लार्सन एंड टुब्रो (L&T) |
परियोजना प्रबंधन कंपनी | टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड (TCEL) |
मूर्तिकार | अरुण योगीराज (मैसूर), गणेश भट्ट और सत्यनारायण पांडे |
निर्माण शैली | भारतीय नागर शैली |
प्रभु श्री राम मंदिर तीन मंजिल का होगा जिसमे पांच मंडप होंगे, एक तरफ तीन मंडप और दूसरी तरफ दो मंडप होंगे।
यह मंदिर मुख्य रूप से 366 कलाम पर टिका हुआ है प्रत्येक अस्तंभ में 16 मूर्तियों को लगाया गया है जिसमें प्रभु शिव अवतार, दशावतार, 64 योगिनी और देवी सरस्वती के अवतार शामिल है। भगवान विष्णु को समर्पित किया मंदिर का गर्भ गृह अष्टकोणीय बनाया गया है यह मंदिर मुख्य रूप से 10 एकड़ जमीन पर बनाया गया है तथा 57 एकड़ जमीन पर प्रार्थना कक्ष, व्याख्यान कक्ष, एक शैक्षिक सुविधा, संग्रहालय और एक कैफेटेरिया सहित परिसर तैयार किया गया है।
मंदिर का निर्माण कार्य: Mandir Ka Nirman Karya
मंदिर का निर्माण कार्य का पहला चरण श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के द्वारा 2020 में ही शुरू कर दिया गया था, इसके बाद भारत में कोविद-19 महामारी के कारण और 2020 में चीन के साथ कुछ सीमा विवाद के कारण मंदिर निर्माण कार्य अस्थाई रूप से साथागित कर दिया गया था। इस प्रथम निर्माण कार्य के दौरान खुदाई में एक शिवलिंग, खंबे, और टूटी हुई मूर्तियां मिली, जिसे 25 मार्च 2020 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा प्रभु श्री राम की मूर्ति को एक स्थाई जगह पर ले जाया गया।
निर्माण क्षेत्र के प्रसिद्ध कंपनी लार्गन एंड टुब्रो L&T ने प्रभु श्री राम के मंदिर को निःशुल्क बनाने और देख रेख करने का का फैसला किया और वह मुख्य ठेकेदार बन गया, प्रकार एलएनटी L&T ने इस कंपनी का निर्माण कार्य करने में जुट गया। इसके साथ ही केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय भू- भौतिकिय अनुसंधान संस्थान, आईआईटी बांबे, मद्रास और गुआहाटी कंक्रीट, मिट्टी परीक्षण, और डिजाइन जैसे क्षेत्रों में सहायता कर रहे हैं। इस मंदिर के निर्माण में कोसी प्रकार के भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे के प्लेटो का प्रयोग किया गया है।
ISRO इसरो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान : एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने बताया कि सरयू नदी की एक ऐसी धारा है जो राम मंदिर के नीचे प्रवाहित होती है।
भूमिपूजन कार्यक्रम Bhumipujan Karyakram
मंदिर निर्माण 5 अगस्त के आधारशिला समारोह के बाद फिर से शुरू किया गया। इस दौरान भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 40 किलो चांदी के इट का आधारशिला के रूप में स्थापित किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान भारतवर्ष के कई महत्वपूर्ण स्थान से भूमि पूजन, मिट्टी, पवित्र पानी प्रयागराज संगम, कावेरी और तालकावेरी, आदि से लिया गया। हनुमान गढ़ी के 7 किलोमीटर के एरिया के सभी 7000 मंदिरों को दिया जलाकर इस उत्सव में शामिल किया गया। इस दौरान अयोध्या के मुस्लिम जो प्रभु श्री राम को अपना पूर्वज मानते हैं यह भी इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिए।
मंदिर क्षेत्रफल | 2.77 एकड़ |
कुल क्षेत्रफल | 70 एकड़ (70% हरित क्षेत्र) |
इस पावन अवसर पर सभी धर्म के आध्यात्मिक नेता को इस समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। इस दौरान 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हनुमानगढ़ी मंदिर में जाकर हनुमान जी से अनुमति अनुमति के गुहार लगाने के बाद मंदिर निर्माण कार्य, तोड़फोड़ और शिलान्यास शुरू किया गया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जय सियाराम के साथ भाषण शुरू किए और लोगों से जय श्री राम का जाप करने का अनुरोध किया,
मंदिर निर्माण सामग्री Mandir Nirman Samagri
प्रभु श्री राम के मंदिर निर्माण में ग्रेनाइट पत्थर, शालिग्राम शिला, तांबे की प्लेट, सोना और अष्टधातु, सागौन की लकड़ी, स्टील के बिना उच्च ग्रेड कंपैक्टेड कंपैक्टेड कंक्रीट, इत्यादि का उपयोग किया गया है मंदिर निर्माण में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की प्लेटों का प्रयोग किया गया है।
मंदिर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी Important Fact Ram Fandir
इस मंदिर का निर्माण भारत की मशहूर कंपनी एलएनटी द्वारा किया गया है यह मंदिर तीन मंजिलों का होगा जो भूकंप प्रतिरोधी संरचना से बना हुआ है। इसमें 392 स्तंभ और 44 दरवाजे हैं इसके दरवाजे सागौन के लकड़ी से बने हैं और उन पर सोने की परत चढ़ाई गई है मंदिर की संरचना की अनुमति आयु 2500 वर्ष निर्धारित किया गया है।
इस मंदिर की मूर्तियां 6 करोड़ वर्ष पुरानी शालिग्राम शिलाओ से बनी है जो नेपाल के गंडक नदी से लाई गई है इस मंदिर में एक बहुत ही विशाल घंटा लगाया गया है जिसका वजन 2100 किलोग्राम है और इसकी आवाज अनुमानित 15 किलोमीटर दूर से सुनी जा सकती हैं इस घंटे को अष्टधातु सोना, चांदी, सीसा, जस्ता, तांबा, पारा, लोहा, और टीन से बनाया गया है
मंदिर के आयाम
लंबाई | 380 फीट |
चौड़ाई – | 250 फीट |
ऊँचाई – | 161 फीट |
राम मंदिर की कुछ प्रमुख विशेषताएं Important Features Of Ram Mandir
इस मंदिर में प्रथम तल पर राम दरबार है मंदिर में पांच मंडप हैं जिसमें रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप, नृत्य मंडप, और कीर्तन मंडप शामिल है। मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में श्री राम लला श्री भगवान राम जी का शिशु रूप का मूर्ति स्थापित किया गया है। मंदिर में के चारों कोनों पर मां भगवती, भगवान शिव, भगवान गणेश, और सूर्य देव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया गया है। उत्तर दिशा में माता अन्नपूर्णा जी का मंदिर तथा दक्षिण दिशा में भगवान हनुमान जी का मंदिर स्थापित किया गया है।
“पुरुषोत्तम राम: भक्ति और साधना का प्रेरणा स्रोत”
इस मंदिर परिसर के अंदर कुछ अन्य महत्वपूर्ण मंदिर का निर्माण किया गया है जिसमें कुछ प्रमुख है- महर्षि वाल्मीकि मंदिर, महर्षि वशिष्ठ, राजा निषाद,महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, माता शबरी और देवी अहिल्या देवी को समर्पित कुछ मंदिर अन्य बनाए गए हैं इस मंदिर परिसर में सीता कुंड नाम का एक पवित्र कुंड का भी निर्माण किया गया है। मंदिर के दक्षिण पश्चिम दिशा में नवरत्न कुबेर पहाड़ी पर भगवान शिव के मंदिर पुनर्निर्माण किया जायेगा और जटायु की एक प्रतिमा स्थापित की गई है।